क्या आपको दर्द हो रहा... जब कारगिल जंग में घायल जवान से मोदी ने किया सवाल, दिल छूने वाला था सोल्जर का जवाब

नई दिल्ली: कारगिल विजय दिवस पर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लद्दाख के द्रास पहुंचे थे। इस दौरान कारगिल वॉर मेमोरियल में

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नई दिल्ली: कारगिल विजय दिवस पर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लद्दाख के द्रास पहुंचे थे। इस दौरान कारगिल वॉर मेमोरियल में शहीदों को श्रद्धांजलि दी, साथ ही उन्होंने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान पर जमकर अटैक किए। पीएम मोदी ने कहा कि पाकिस्तान ने अतीत में जितने भी दुष्प्रयास किए उसे मुंह की खानी पड़ी। बावजूद उसने अपने इतिहास से कुछ नहीं सीखा। कारगिल वॉर का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूं कि 1999 में पाकिस्तान से संघर्ष के दौरान मैं अपने जवानों के साथ एक आम नागरिक की तरह पर मौजूद था। अब एक बार फिर मैं कारगिल की जमीन पर मौजूद हूं। इस दौरान मेरे दिलोदिमाग में वो सारी यादें फिर से कौंध रही हैं। आखिर कब और कैसे नरेंद्र मोदी कारगिल जंग के बीच जवानों का हौसला बढ़ाने पहुंचे थे, जानिए पूरा घटनाक्रम।

1999 में जब कारगिल पहुंचे थे मोदी

जुलाई 1999 में जब कारगिल युद्ध चल रहा था तो नरेंद्र मोदी, जो उस समय बीजेपी के महासचिव थे, उन्होंने कारगिल और कश्मीर के अन्य हिस्सों का दौरा किया था। उनके साथ हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल भी थे। धूमल ने एक इंटरव्यू में उस यात्रा के खास पलों को याद किया। हिमाचल के तत्कालीन सीएम ने बताया कि 3 जुलाई 1999 को जब हम शिमला में थे तो हमें पता चला कि प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ाने के लिए सीमा पर जा रहे। नरेंद्र मोदी ने सुझाव दिया कि हमें भी जाना चाहिए। अगले ही दिन यानी 4 जुलाई को एक टीम जवानों के लिए आवश्यक आपूर्ति सामग्री लेकर एक हेलीकॉप्टर में सवार हुई। इस दौरान नरेंद्र मोदी और प्रेम कुमार धूमल भी कारगिल रवाना हुए।


एक घायल जवान के सिर पर मोदी ने रखा हाथ

धूमल ने बताया कि नरेंद्र मोदी के साथ हमने कारगिल का दौरा किया। फिर हम घायल सैनिकों से मिलने, जरूरी सामानों के वितरण और उनसे बातचीत करने के लिए अस्पतालों में गए। जब हम अस्पताल के वार्डों से गुजर रहे थे, तो एक भावुक क्षण आया। चादर में लिपटा एक जवान वितरण सामग्री लेने के लिए आगे नहीं बढ़ा। चिंतित होकर, हमने उसकी चीजें पास की एक मेज पर रख दीं। फिर एक डॉक्टर आया और उसने बताया कि इस बहादुर जवान ने पिछले दिनों एक माइन ब्लास्ट में अपने दोनों हाथ और पैर गंवा दिए। जैसे ही नरेंद्र मोदी ने ये सुना तो भावुक होकर जवान के सिर पर अपना हाथ रख दिया।

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धूमल ने बताया वो प्रेरणा देने वाला वाक्या

धूमल ने आगे कहा कि कि नरेंद्र मोदी ने उस जवान के सिर पर हाथ रखकर धीरे से पूछा कि क्या आपको दर्द हो रहा? जवान की प्रतिक्रिया बेहद विनम्र और प्रेरणादायक दोनों थी। उन्होंने कहा कि नहीं, दर्द खत्म हो गया है क्योंकि कल, हमने टाइगर हिल वापस जीत लिया। इससे पता चलता है कि कैसे टाइगर हिल पर जीत ने इस सैनिकों के मनोबल को बढ़ा दिया था, भले ही उन्हें शारीरिक कष्ट सहना पड़ा हो। नरेंद्र मोदी और धूमल ये सुनकर बहुत भावुक हो गए, उन्होंने सैनिकों के साथ बातचीत में काफी समय बिताया। कारगिल से अपनी वापसी यात्रा पर, वे अमरनाथ गुफा भी गए, जहां उन्होंने आर्मी जवानों और राष्ट्र के लिए प्रार्थना की।

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जवानों के लिए प्रार्थना करने अमरनाथ गुफा भी गए थे नरेंद्र मोदी

धूमल ने याद करते हुए कहा कि अमरनाथ गुफा की यात्रा के बाद हम उन्हीं सैनिकों को देखकर आश्चर्यचकित थे, जिन्होंने टाइगर हिल को फिर से जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वहां लौटने के बाद नरेंद्र मोदी ने उन साहसी जवानों से बात भी किया जो ऑपरेशन में शामिल थे। यह अनुभव बहुत ही मार्मिक था। प्रेम कुमार धूमल के मुताबिक, नरेंद्र मोदी के साथ यह यात्रा एक गहरी याद बनी हुई है। वे बताते हैं कि मोदी के साथ अग्रिम मोर्चे की वो यात्रा आशा, एकजुटता और भारतीय सैनिकों की भावना के प्रति श्रद्धांजलि का मिशन था।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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